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Wednesday, April 14, 2010

Badmaash Company the different musical

'बदमाश कंपनी' का अलग संगीत

फ़िल्म 'बदमाश कंपनी' का एक दृश्य

बदमाश कंपनी यशराज बैनर की फ़िल्म है

यशराज बैनर की नई फ़िल्म 'बदमाश कंपनी' को संगीतकार प्रीतम ने अपने संगीत से सजाया है.

इस फ़िल्म में मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं शाहिद कपूर, अनुष्का शर्मा, वीर दास और मियांग चैंग ने. फ़िल्म का निर्देशन किया है परमीत सेठी ने.

प्रीतम कहते हैं, "फ़िल्म का नाम ही बदमाश कंपनी है तो ज़ाहिर है ये बदमाशियों से भरी है. इसलिए गाने भी बदमाशियों पर आधारित हैं."

वो कहते हैं,"अय्याशी और पैसे के चस्के जैसे विषयों पर हमने गाने बनाए हैं. ये सब बहुत मज़ेदार हैं."

प्रीतम ने यशराज बैनर की फ़िल्मों के लिए पहले भी संगीत दिया है. इनमें शामिल हैं 'न्यूयॉर्क' और 'दिल बोले हड़िप्पा'.

बदमाश कंपनी में पाँच गाने हैं लेकिन मेरा सबसे पसंदीदा गाना है फ़क़ीरा.

संगीतकार प्रीतम

प्रीतम कहते हैं, "बदमाश कंपनी में पाँच गाने हैं लेकिन मेरा सबसे पसंदीदा गाना है 'फ़क़ीरा'."

प्रीतम बताते हैं कि फ़िल्म के दोनों मुख्य कलाकार शाहिद और अनुष्का बेहतरीन अभिनय करते हैं.

बदमाश कंपनी चार ऐसे लोगों की कहानी जो कि सिर्फ़ पैसा कमाने के मकसद से एक कंपनी खोलते हैं और प्रशासन को चकमा देकर ख़ूब पैसा बनाते हैं.

शाहिद कपूर को जिंगल जिंगल गाना बहुत पसंद है.

शाहिद कहते हैं,''जिंगल जिंगल' आज के युवा और उनकी आकांक्षाओं को दर्शाता है."

उनका कहना है,"फ़क़ीरा को राहत फ़तेह अली ख़ान ने गाया है और ये भी मुझे बहुत पसंद है. इस गाने में एक ख़ास तरह की रूहानियत है."

फ़िल्म की अभिनेत्री अनुष्का शर्मा मानती हैं कि वो बहुत ख़ुशक़िस्मत हैं कि उनकी पहली फ़िल्म 'रब ने बना दी जोड़ी' की तरह ही उनकी दूसरी फ़िल्म का संगीत भी अच्छा है.

अनुष्का कहती हैं,"बॉलीवुड में संगीत की बहुत अहमियत है और यही दर्शकों को सिनेमाघरों तक खींच के लाता है.''

'बदमाश कंपनी' मई में रिलीज़ होगी

Shahid Kapoor's Paathshala

शाहिद कपूर की पाठशाला

शाहिद कपूर

भारत की शिक्षा व्यवस्था पर नज़र डालती फ़िल्म पाठशाला करते हुए शाहिद कपूर को अपने स्कूल के दिन ख़ूब याद आए.

मिलिंद उइके निर्देशित ये फ़िल्म सरस्वती विद्या मंदिर नाम के स्कूल की कहानी है. इस स्कूल के प्रिसिंपल का किरदार नाना पाटेकर ने निभाया है और इस विद्यालय के अध्यापक हैं शाहिद कपूर, आयशा टाकिया और सुशांत.

शाहिद कपूर फ़िल्म के बारे में कहते हैं, "ये फ़िल्म अध्यापकों के उस संघर्ष की कहानी कहती है जहां वो बच्चों की पढ़ाई और खेल-कूद के स्तर को लगातार सुधारने की कोशिश करते हैं लेकिन इस प्रयास में उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है."

शाहिद कहते हैं कि फ़िल्म में अध्यापक पढ़ाई, खेलकूद और बाक़ी अन्य गतिविधिओं के बीच एक सही संतुलन बनाए रखने के लिए जद्दोजहद करते रहते हैं.

शाहिद कपूर ने कहा, "इस फ़िल्म में कई ऐसे छोटे-छोटे लम्हे हैं जो छात्रों की समस्याओं पर रोशनी डालते हैं. उदाहरण के लिए अचानक स्कूल की फ़ीस बढ़ जाना. कुछ बच्चों के माता-पिता अचानक बढ़ी फ़ीस तय वक़्त पर नहीं चुका पाते और इससे बच्चे स्कूल में काफ़ी शर्मिंदा होते हैं."

शाहिद कपूर

फ़िल्म में अध्यापक बनीं आयशा टाकिया कहती हैं कि स्कूल में बिताए लम्हें हमेशा याद रहते हैं चाहे वो सहपाठी हों या एक अच्छा अध्यापक.

टाकिया कहती हैं, "जब आप स्कूल में होते हैं तो आप चाहते हैं कि आप जल्दी से बड़े हो जाएं लेकिन बड़े होकर समझ आता है कि स्कूल में बिताए साल ही आपके जीवन के सबसे यादगार लम्हे थे."

शाहिद कपूर मानते हैं कि आजकल की स्कूली शिक्षा की दशा पर बन रही फ़िल्म 'पाठशाला' एक चुनौती-भरी कहानी है.

शाहिद कहते हैं, "आमतौर पर लोग शिक्षा व्यवस्था जैसे मुद्दों पर फ़िल्म नहीं बनाते क्योंकि उन्हें लगता होगा कि ये बोरिंग और डॉक्यूमेंट्री जैसी होगी. ऐसे विषय को मंनोरंजक बनाना एक चुनौती तो है."

शाहिद कपूर कहते हैं कि वो ये फ़िल्म इसलिए भी करना चाहते थे ताकि लोगों का ध्यान आजकल की स्कूली शिक्षा से जुड़ी समस्याओं की तरफ जाए